Saturday, September 20, 2014

जिंदगी



                                                                 जिंदगी 


क्यों इतने इम्तिहान लेती है तू जिंदगी,
 सब्र  कर एक दिन तुझे मैं दिखलाऊंगा,
मुझे तू जिंदगी कम आंकने की भूल न कर,
मैं अपनी कोशिशों से जल्द ही मुस्काउंगा, 

सख्त हालत कितने भी दिखा मुझको भले पत्थर बना दे,
बड़ी संजीदगी से तेरे हर सितम को अपनाउंगा,
मुझे ना चाहिए तुझसे दुनिया के खजाने,
मैं अपनों की दुआओं से ही बस पल जाऊंगा,

मत सुना चाँद सितारों की कहानी मुझको,
कोई बच्चा नही हूँ मैं जो यूँ ही बहल जाऊंगा,
मुझे आता है लड़ लड़ के किस्मत बदलना,
जरा तू सब्र कर ले मैं खुद ही संभल जाऊंगा,

बड़ा ही आ रहा है मज़ा मुझे लड़ने में तुझसे,
कड़े कर  इम्तिहान तू और मैं उतना मुस्कराऊंगा,
मुझे तू जिंदगी कम आंकने की भूल न कर,
मैं अपनी कोशिशों से जल्द ही मुस्काउंगा, 

शैलेन्द्र हर्ष गुप्ता 
(२०- सितम्बर-२०१४)

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