Tuesday, February 11, 2014

कुछ पल तेरे साथ

  
 
        कुछ देर और तेरी जुल्फ के साये में पनाह दे दे मुझको,
कुछ हसीं पल मैं इधर और बिताना चाहता हूँ,
बात होंठों से निकलेगी तो सुन लेंगे सब तो,
आँखों आँखों में कुछ राज़ बताना चाहता हूँ,
 
ज़िन्दगी है बड़ी बेवफा क्या यकीन करूँ,
आज कि शाम तेरे मैं संग बिताना चाहता हूँ,
उजाले दिन के बड़े तनहा गुजारे हैं मैंने,
एक हसीं शाम तेरे पहलू में बसर चाहता हूँ,
 
कितने नफरत के अँधेरे बसे हैं दुनिया में,
शम्मा-ए-मुहब्बत मैं हर कोने में जलाना चाहता हूँ,
सफ़र छोटा ही भले हो मेरी इस जिंदगी का,
पकड़ के हाँथ तेरा तय मैं करना चाहता हूँ,
 
आइना ख़ाक बतायेगा कि तू कितनी सुन्दर है,
मेरी आँखों में देख अक्स नज़र आएगा,
तू बहुत खूबसूरत महकता फूल है जिसको,
मैं अपने दिल के बगीचे में सजाना चाहता हूँ,
 
कुछ देर और तेरी जुल्फ के साये में पनाह दे दे मुझको,
कुछ हसीं पल मैं इधर और बिताना चाहता हूँ........

शैलेन्द्र हर्ष गुप्ता
(१२-फेब्रुबरी-२०१४)
 

Saturday, February 8, 2014

पिता

 
 
हे तात तुम मेरे जीवन का आधार हो,
मेरे जीवन की प्रबल शक्ति हो,
मेरे कुटुंब के सबल स्तम्भ हो,
तुम पालक तुम्ही पोषक प्रेम निर्झर विस्तार हो......
तुम्हीं परिवार का अनुशाशन हो ,
धौंस से चलने वाला प्रेम का प्रशासन हो,
तुम अप्रदर्शित अनंत प्यार हो,
परिवार के प्रतिपल स्नेह के सूत्रधार हो,
तुम रोटी तुम कपडा तुम ही मकान हो,
तुम ही हम छोटी चिड़ियों के अनंत आसमान हो,
हम हैं सुरक्षित गर तेरा सर पे हाँथ है,
तू नही तो मेरा बचपन बिलकुल अनाथ है,
अपनी इच्छाओं का करते रहे तुम त्याग,
परिवार की पूर्ति रहा सदा प्रथम ध्येय,
तू हम उंगली पकड़े बच्चों का सहारा है,
जो कभी खट्टा है तो कभी खारा है,
माँ तो कह लेती है दुखी हो तो रो लेती है,
पर तू छिपा लेता है अपने अंदर अवसादों के तूफान को,
तू तब भी ढृढ़ दिखा जब मैं घर से दूर गया,
तब भी जब दीदी विदा हुई,
पर हूँ अवगत इस बात से भी,
अश्रु की वर्षा रात हुई,
हे त्यागरूप हे सबल मूर्ति तेरा मैं वंदन करता हूँ,
हे परमपूज्य परमेश्ववर रूप मैं कोटिनमन तुम्हे करता हूँ....
 
शैलेन्द्र हर्ष गुप्ता
(०८-०२-२०१४)