लघु सोच के बृहद समाज की परिवर्तन लायेगा कौन,
कुरीतियों की CO२ में बदलाव की ओक्सीज़ऩ घोलेगा कौन,
क्यों जकड़े हैं संकीर्ण भावों में,
क्यों अन्दर का गाँधी हैं मौन ??
कुरीतियों की CO२ में बदलाव की ओक्सीज़ऩ घोलेगा कौन,
क्यों जकड़े हैं संकीर्ण भावों में,
क्यों अन्दर का गाँधी हैं मौन ??
सब लिप्त हैं बस दोषारोपण में,
क्यों अपने दोष नहीं दिखते,
बस दिखता हैं उन्हें निजी-स्वार्थ,
हित राष्ट्र का कैसे छिप जाता...
क्यों अपने दोष नहीं दिखते,
बस दिखता हैं उन्हें निजी-स्वार्थ,
हित राष्ट्र का कैसे छिप जाता...
है जन-समाज ब्रश्चिक जैसा,
न बढता न बढने देता,
जिस लहर में अपना स्वार्थ दिखा
उस लहर में आगे बढ लेता,
न चिंता है न कुछ चिंतन
पर करे प्रतीक्षा उनका मन,
बस जग ये हो जाये सुन्दर
उनका घर हो जाये सुन्दर,
पर बिना प्रयास क्या ये संभव
गर मौन-दर्शी बस रहेंगे सब?
न बढता न बढने देता,
जिस लहर में अपना स्वार्थ दिखा
उस लहर में आगे बढ लेता,
न चिंता है न कुछ चिंतन
पर करे प्रतीक्षा उनका मन,
बस जग ये हो जाये सुन्दर
उनका घर हो जाये सुन्दर,
पर बिना प्रयास क्या ये संभव
गर मौन-दर्शी बस रहेंगे सब?
गर सपना है सम्रद्धि का,
तो फिर प्रयास करना होगा
ये राष्ट्र सभी से बनता है
अपना कर्तव्य समझना होगा....
तो फिर प्रयास करना होगा
ये राष्ट्र सभी से बनता है
अपना कर्तव्य समझना होगा....
मत करो प्रतीक्षा जिम्मा लो
खुद बढ़ो औरों को बढवाओ,
तुमसे है राष्ट्र और इसके हो तुम
परिवर्तन से सम्रद्धि लाओ
खुद बढ़ो औरों को बढवाओ,
तुमसे है राष्ट्र और इसके हो तुम
परिवर्तन से सम्रद्धि लाओ
शैलेन्द्र हर्ष गुप्ता
(२८ सितम्बर २०१३ )