कभी तो
काश कभी तो उसकी एक झलक मिल जाये,
जो मेरे इस बीमार दिल की दवा बन जाएं,
कभी तो सुनाई दे मेरी धडकन उसको,
कभी तो मेरी हर अनसुनी दुआ कि सुनवाई हो जाये,
जो मेरे इस बीमार दिल की दवा बन जाएं,
कभी तो सुनाई दे मेरी धडकन उसको,
कभी तो मेरी हर अनसुनी दुआ कि सुनवाई हो जाये,
बड़ी मुद्दत गुजार दी ,किया दीदार दूर से,
कभी उसकी नज़र भी देख ले तो बात बन जाएं,
मैं अक्सर रात मे तेरे सपनें सजोंता हूँ,
जो ये सच मे बदल जाये तो यारा बात बन जाये,
कभी उसकी नज़र भी देख ले तो बात बन जाएं,
मैं अक्सर रात मे तेरे सपनें सजोंता हूँ,
जो ये सच मे बदल जाये तो यारा बात बन जाये,
" ऐ चाँद तुझमें मुझे अपना मेहबूब नज़र आता है,
पर ये भी सच है वोह तुझसा दूर नज़र आता है... "
पर ये भी सच है वोह तुझसा दूर नज़र आता है... "
शैलेन्द्र हर्ष गुप्ता
(३०-अप्रैल-२०१४)
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